आज का शब्द: अवतार और श्रीकांत वर्मा की कविता- छूटा जा रहा मेरा प्रेम
' हिंदी हैं हम ' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- अवतार , जिसका अर्थ है- उतरना, नीचे आना, जन्म लेना, शरीर धारण करना। प्रस्तुत है श्रीकांत वर्मा की कविता- छूटा जा रहा मेरा प्रेम एक सुबह उठते ही लगता है मेरा विश्वास जो मेरी परछाईं की तरह मेरे संग था कल मुझको सोते में छोड़कर चला गया— मैं बूढ़ा हो गया हूँ। छूटा जा रहा मेरा प्रेम। मैं बिल्कुल अकेला हो जाऊँगा क्या होगा! किसको पुकारूँगा? सारा दिन कैसे गुज़ारूँगा? सोने के पहले अपने वस्त्र क्या आईने में अपना अकेलापन देखने के लिए उतारूँगा?...
क्या होगा? कैसे गुज़ारूँगा? क्या मैं अपने गुज़रे जीवन को एक काग़ज़ पर लिखी हुई कविता की तरह दूसरे काग़ज़ पर उतारूँगा? क्या मैं यह सोचूँगा कि यदि मैंने उस पर शासन भी किया होता तो वह नहीं जाती! और क्या मैं फिर शासन के लिए एक शासक का चेहरा जाकर उधार लाऊँगा? क्या मैं एक स्त्री के लिए नक़ली तमंचा लिए बस्तर पर लूँगा अवतार? क्या मैं उसी स्त्री से फिर से रचाऊँगा विवाह? आख़िर मैं लूँ भी तो किससे सलाह? दिन चढ़ते-चढ़ते मैं अकेला हो जाता हूँ। मैं हरेक रास्ते पर कुछ दूर चलकर पाता हूँ यह रास्ता ग़लत था। मेरा...
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