अक्टूबर के महीने में धान की कटाई और गेहूं की बुवाई शुरू हो जाती है. इस दौरान किसानों को पराली की समस्या से जूझना पड़ता है. अधिकांश किसान पराली को जला देते हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ता है. हालांकि, पराली से छुटकारा पाने के लिए कुछ ऐसे यंत्र हैं, जिनकी मदद से पराली का प्रबंधन किया जा सकता है.
अक्टूबर का महीना आते ही धान की कटाई शुरू हो जाती है और गेहूं की बुवाई होने लगती है. अधिकतर किसान धान की कटाई के लिए कंबाइन हार्वेस्टर का उपयोग करते हैं, जिससे फसल अवशेष खेतों में ही रह जाते हैं. किसान खेतों के इन अवशेषों यानी पराली को जला देते हैं, जिसकी वजह से दिल्ली और आस-पास के इलाकों में प्रदूषण की स्थिति गंभीर हो जाती है. पराली के धुएं से लोगों को सांस संबंधी रोग हो जाते हैं. इसके अलावा पराली जलाने से मिट्टी में रहने वाले लाभकारी कीट भी नष्ट हो जाते हैं.
पराली वाले खेतों में करें सुपर सीडर से बुवाईकिसान धान की पराली वाले खेत में सुपर सीडर मशीन से आसानी से बुवाई कर सकते हैं. ये मशीन फसल अवशेषों को काटते हुए उन्हें मिट्टी में मिला देती है और साथ ही फसल के बीजों की कतारों में बुवाई भी करती जाती है. इस तरह पराली जलाए बिना ही गेहूं की फसल की बुवाई हो जाती है. सुपर सीडर में रोटावेटर, रोलर और फर्टीसीड ड्रिल लगा होता है. इसे ट्रैक्टर के साथ 12 से 18 इंच खड़ी पराली के साथ खेत में चलाया जाता है.
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