आज का शब्द: लुप्त और ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग' की कविता- तुम संबंधों का दीप जलाने आये हो !
' हिंदी हैं हम ' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- लुप्त , जिसका अर्थ है- छिपा हुआ, गु्प्त, अदृश्य, गायब। प्रस्तुत है ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग' की कविता- तुम संबंधों का दीप जलाने आये हो ! लुप्त हुई विस्मृति के तम में जब सारी सुधियाँ तब तुम संबंधों का दीप जलाने आये हो ! कूल चीर कर बिखर चली है जब जीवन-सरिता तब तुम तटबंधों का शास्त्र सिखाने आये हो !! जीवन जन्म मिला कैसे मुझको कुछ पता नहीं जन्म-जन्म की कर्म ग्रंथियाँ अब तक सता रहीं पल दो पल को मिला तुम्हारा आश्रय अमृत सा...
भस्म हो गईं भौतिक आस्थाएँ तब तुम सौगधों की लाज बचाने आये हो ! मैंने सर्पिल सपनों से समझौता नहीं किया आशाओं आकांक्षाओं को न्यौता नहीं दिया जो कुछ मिला सहज स्वीकारा निर्विकार मन से क्षीरसिंधु में रहकर भी मैंने बस नीर पिया जब संवेदन-रंध्र बन्द हो गये अभावों से तब तुम मधुगंधों का कोष लुटाने आये हो ! कितने भेदभाव हैं जग में, कितनी रेखाएँ अर्थ अनर्थ कर रहीं दुख-सुख की परिभाषाएँ विश्व-बंधुता के नियमन, संगठन सभी हैं, पर द्वार-द्वार पइर देहरी है, घर-घर की सीमाएँ जब सब नियम निरस्त हो गये, शर्तें टूट चलीं...
Hindi Hain Hum Ujaas Hindi Bhasha Hindi Apno Ki Bhasha Sapno Ki Bhasha Lupt Omprakash Chaturvedi Parag Poems Tum Sambandhon Ka Deep Jalane Aae Ho हिंदीहैंहम आज का शब्द हिंदी हैं हम हिंदी भाषा हिंदी अपनों की भाषा सपनों की भाषा लुप्त ओमप्रकाश चतुर्वेदी पराग की कविताएं तुम संबंधों का दीप जलाने आए हो
Malaysia Latest News, Malaysia Headlines
Similar News:You can also read news stories similar to this one that we have collected from other news sources.
आज का शब्द: कानन और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता- जूही की कलीआज का शब्द: कानन और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता- जूही की कली
Read more »
आज का शब्द: नीलकंठ और द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की कविता- पला सदा मैं काँटों में हीआज का शब्द: नीलकंठ और द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की कविता- पला सदा मैं काँटों में ही
Read more »
आज का शब्द: पलथी और नागार्जुन की कविता- तुंग हिमालय के कंधों परआज का शब्द: पलथी और नागार्जुन की कविता- तुंग हिमालय के कंधों पर
Read more »
आज का शब्द: अन्यत्र और मैथिलीशरण गुप्त की कविता- चांडालआज का शब्द: अन्यत्र और मैथिलीशरण गुप्त की कविता- चांडाल
Read more »
आज का शब्द: तन्मय और अज्ञेय की कविता जैसे तुझे स्वीकार होaaj ka shabd tanmay agyeya hindi kavita jaise tujhe sweekar ho आज का शब्द: तन्मय और अज्ञेय की कविता जैसे तुझे स्वीकार हो
Read more »
आज का शब्द: विरंचि और शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कविता 'मिट्टी की महिमा'aaj ka shabd viranchi shivmangal singh suman hindi kavita mitti ki mahima आज का शब्द: विरंचि और शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कविता 'मिट्टी की महिमा'
Read more »