पंडित नेहरू ने एटनबरो को यह सलाह दी थी कि वे अपनी फिल्म में गांधीजी को देवता न बनाएं बल्कि अपनी कमजोरियों के साथ एक मनुष्य के रूप में प्रस्तुत करें।
एबीपी को 29 मई 2024 को दिए अपने एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ‘‘क्या पिछले 75 सालों में हमारी यह जिम्मेदारी नहीं थी कि हम सारी दुनिया को महात्मा गांधी से परिचित करवाते? माफ कीजिये, मगर गांधीजी को कोई नहीं जानता था जब तक कि 1982 में उन पर बनी फिल्म रिलीज नहीं हुई थी।' वे जब यह कह रहे थे तब उनका साक्षात्कार ले रहे एबीपी के प्रतिनिधियों के चेहरे भावशून्य थे। उन्होंने प्रधानमंत्री के इस सफेद झूठ पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की.
इस प्रसिद्ध पत्रिका के मुखपृष्ठ पर प्रकाशित की गई। इसी तरह टाईम की सहयोगी पत्रिका लाईफ ने भी गांधीजी पर केन्द्रित परिशिष्ट प्रकाशित किया।दुनिया भर में अपने विचारों और कार्यों के माध्यम से न्याय और शांति के लिए प्रयासरत लोग गांधीजी की ओर आकृष्ट हुए। महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आईंस्टाइन ने 1939 में लिखा 'मेरा मानना है कि गांधीजी के विचार हमारे दौर के सभी राजनीतिज्ञों में से सबसे अधिक प्रबुद्ध थे। हमें उनकी भावना के अनुसार काम करने का प्रयास करना चाहिए: अपने उद्देश्य के लिए लड़ाई में हिंसा का...
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