बांग्लादेश की एक डॉक्टर पिछले 16 साल से गंगासागर में 'पश्चाताप' कर रही हैं। वह संन्यासिनी की तरह भक्ति में डूबी है और अपना जीवन मंदिरों और श्मशानों में बिता रही है।
बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों से अशांति का माहौल है। बांग्लादेश में फैली अशांति के कारण भारत के साथ भी पड़ोसी मुल्क के रिश्तों में कड़वाहट देखने को मिल रही है। इस बीच बंगाल से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसे जानने के बाद आप हैरान हो सकते हैं। दरअसल, बांग्लादेश की एक महिला डॉक्टर गंगासागर में पिछले 16 साल से ' पश्चाताप ' कर रही हैं। वे यहां संन्यासिनी का जीवन जी रही हैं। दिन भर मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करती हैं। उनके रहने का कोई ठिकाना नहीं है। जहां जगह मिलती है, वहीं सिर छिपा लेती हैं। कभी वह
मंदिरों तो कभी श्मशान को अपना ठिकाना बनाती हैं। उनको जो भी मिल जाता है, उसी से गुजारा कर लेती हैं। वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि वे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलती हैं। महिला डॉक्टर क्यों जीती हैं ऐसी जिंदगी? इस विदेशी महिला डॉक्टर को देखकर लोगों के मन में कई सवाल आते हैं। इस बीच लापता लोगों का पता लगाने वाले संगठन हैम रेडियो, वेस्ट बंगाल रेडियो क्लब के सचिव अंबरी नाग विश्वास ने बताया कि हमारे रेडियो आपरेटर को डेढ़ साल पहले गंगासागर के लोगों से उस महिला के बारे में जानकारी मिली थी। उससे बात करने की कोशिश की गई तो उसके बांग्लादेशी होने का आभास मिला। इसके बाद हमने ढाका स्थित अमेचर रेडियो एसोसिएशन आफ बांग्लादेश के सचिव अनूप भौमिक से संपर्क कर उसके बारे में पता लगाने की कोशिश की। सदमें में आकर हो गई लापता उन्होंने आगे बताया कि तीन-चार महीने के प्रयास के बाद पता चला कि उनका नाम अर्चना गोलदार (70) है। वह बांग्लादेश के खुलना इलाके की रहने वाली हैं और पेशे से एक डाक्टर हैं। 16 साल पहले वह अचानक लापता हो गई थीं। उसके पति लंकेश्वर गोलदार से संपर्क करने पर पता चला कि अर्चना अपनी बीमार बेटी का इलाज कर रही थीं। गलत दवा के प्रयोग के कारण उसकी मौत हो गई थी, जिससे वह सदमे में आ गई थी और इसी कारण घर छोड़कर चली गई थीं। तब से वे उसे तलाश रहे थे। गौरतलब है कि अर्चना बांग्लादेश से गंगासागर कैसे पहुंच गईं, इसका अभी पता नहीं चल पाया है। अर्चना के परिवार की ओर से बांग्लादेश के स्थानीय परिषद से संपर्क कर अर्चना को वापस लाने की कोशिश की जा रही है। इसके अलावा रेडियो की ओर से कोलकाता स्थित बांग्लादेश उप उच्चायुक्त से भी संपर्क साधा गया है। बांग्लादेश लौटने को तैयार नहीं इस बीच परिचय का खुलासा होने के बाद अर्चना ने स्वदेश लौटने से इन्कार कर दिया है। उन्होंने कहा कि वह अब यहीं अपना शेष जीवन ईश्वर की भक्ति में बिताना चाहती हैं। उन्होंने आगे कहा कि वह उस देश में नहीं लौटना चाहतीं, जहां हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं। जहां लोगों को मारा जा रहा है, वह उनका बांग्लादेश नहीं है
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