क्या बीजेपी की नागरिकता संशोधन क़ानून लागू करने की कोशिश उत्तरपूर्व में बैकफ़ायर कर गई?
इससे पहले 5 अगस्त को भारत सरकार ने एक और बड़ा फ़ैसला लिया था. सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को ख़त्म कर दिया और वहां के लगभग सभी बड़े नेताओं और कई कार्यकर्ताओं को या तो जेल में ले लिया था या फिर उन्हें नज़रबंद कर दिया.
वहीं राधिका रामासेशन कहती हैं कि कश्मीर की नज़र से असम को देखना सही नहीं होगा क्योंकि यहां का मामला पूरा अलग है.राधिका रामासेशन बताती हैं कि नागरिकता संशोधन क़ानून के तार एनआरसी से जुड़े हुए हैं. वो कहती हैं कि जिस तरह असम में एनआरसी लागू किया गया उसे लेकर असम और बंगाल में काफी प्रतिक्रिया हुई थी. वो कहते हैं,"असम समेत उत्तरपूर्व में पहले भी सरकार विरोधी संगठनों ने काम किया है जो वक्त के साथ कमज़ोर हो रहे थे लेकिन अब वो भी समने आ रहे हैं और वो मज़बूत हो सकते हैं. हाल में इस मुद्दे पर अल्फ़ा का बयान आया है."भारत की 'लुक ईस्ट' नीति 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने शुरू की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में 'लुक ईस्ट' नीति को 'ऐक्ट ईस्ट' नीति में बदल दिया.
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