आज का शब्द: प्रियंवद और अज्ञेय की कविता 'असाध्य वीणा'

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आज का शब्द: प्रियंवद और अज्ञेय की कविता 'असाध्य वीणा'
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aaj ka shabd priyamvad agyeya hindi kavita asadhya veena आज का शब्द: प्रियंवद और अज्ञेय की कविता 'असाध्य वीणा'

हिंदी हैं हम शब्द-श्रृंखला में आज का शब्द है - प्रियंवद जिसका अर्थ है 1.मीठी बात कहने वाला; मधुरभाषी 2.

एक गंधर्व का नाम। कवि अज्ञेय ने अपनी कविता में इस शब्द का प्रयोग किया है। आ गए प्रियंवद! केशकंबली! गुफा-गेह! राजा ने आसन दिया। कहा : ‘कृतकृत्य हुआ मैं तात! पधारे आप। भरोसा है अब मुझको साध आज मेरे जीवन की पूरी होगी!’ लघु संकेत समझ राजा का गण दौड़। लाए असाध्य वीणा, साधक के आगे रख उसको, हट गए। सभी की उत्सुक आँखें एक बार वीणा को लख, टिक गईं प्रियंवद के चेहरे पर। ‘यह वीणा उत्तराखंड के गिरि-प्रांतर से —घने वनों में जहाँ तपस्या करते हैं व्रतचारी— बहुत समय पहले आई थी। पूरा तो इतिहास न जान सके हम :...

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